Monday 7 January 2013

राज ठाकरे V/S अकबर ओवैसे

क्या फर्क है इन दो गधो में ।
दोनों राजनीती की रोटियां सेंक रहे है ।
एक बिहारी और उत्तरप्रदेश को निशाना बना रहा है और उनको पिटवा रहा है ।
दूसरा पूरे देश को गाजर मूली की तरह काटने की बात कर रहा है।
उसको अपने हैदराबाद के "The Religion Of Peace" के अनुयायिओं के वोट बटोरने है।
धन्य है   हमारा लोकतंत्र ।
धन्य है कानून का पालन कराने वाले ।
धन्य है वोट की राजनीती ।
धन्य है हमारे आतंकवादी वोटर जो लडाई और मारकाट करने वालों को अपना नेता बनाना पसंद करते है ।

भारत सरकार यदि अकबर ओवैसे और उसके समर्थको के फ़ोन कॉल टेप करे तो पक्का , पाकिस्तान , LeT, SIMI , IM और अलकायदा के लोगो को पकड़ सकती है ।