जी बस एक बात !!! जुराबें होती है ना !!! हर आदमी अलग अलग टाइम तक जुराबें
पहनता है और फिर उनको धोता है !!! धोता तभी है जब उसको खुद को जुराबों की
बदबू आती है !!! किसी को एक बार पहनने में
बदबू आती है , किसी को एक दिन में , किसी को 2 दिन में , किसी को 4 दिन में
, किसी को ८ दिन में , कुछ कुछ महानुभाव १५-२० दिन भी चला लेते है !!! तो
मुददे की बात ये है की धुलेगा तभी जब बदबू आएगी .... बदबू आएगी ही नहीं तो
जुराबें कभी ढूलेंगी ही नहीं !!! और उन जुराबों को पहनने वाल उन सभी पर
हंसेगा की कैसी घटिया नाक है तुम्हारी हर जगह बदबू आती है ... मेरी जुराबें
नहीं तुम्हारी नाक ख़राब है !!! वो बंदा अपनी जुराबें तभी धोएगा जब उसको
खुद को बदबू आएगी !!!!! समझे बात को वर्मा जी !!!! पानी नहीं है , साबुन
नहीं है , टाइम नहीं है धोने का तो मत धोइए लेकिन ये तो मानिये की बदबू आ
रही है जुराबों में !!!!